घर बनाना, या खरीदना यह स्वप्ना हर कोई देखता है।यदि आप एक नया घर खरीदने के लिए सोच रहे हैं।या फेर कोई नया घर बनाने के लिए सोच रहे हैं तो आपके नए घर के लिए कुछ वास्तु टिप्स हैं जिनका आपको पालन करना चाहिए। ओर यह पालन करना भी जरूरी है।
हिंदू शास्त्र के अनुसार वास्तु शास्त्र सभी वास्तु घटकों को संतुलित करने के लिए सही सरूप, योजना, आकार और निर्देश का सुझाव देता है। यह शास्त्र कुछ इस तरह का है जो आपके घर को एक सम्पूर्ण रूप से घर में बदल देता है।
जीवन में शांति और समृद्धि हासिल हो, जीवन में उन्नति हो, घर के अंदर सुख समृद्धि लाभ प्राप्त करने के लिए, आपको किसी अच्छे वास्तु शास्त्र विशेषज्ञों द्वारा दिए हुए आदेश अनुशार नए घर के लिए वास्तु टिप्स का पालन करना चाहिए।
वास्तु शास्त्र प्राचीन भारत का एक ऐसा शास्त्र जो हिंदू विधान के अनुसार पारंपरिक तर पर उपयोग किया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनसार नया घर बनाते समय इसका इस्तेमाल किया जाता है।जो घर के एक कोण से शुरू होते है ओर दूसरे कोण पर जाकर ख़तम होते है।
हिन्दू विधि के अनुसार, वास्तु शास्त्र के आधार पर घर बनाने से, प्राकृतिक उत्पात अनहोनी उपद्रवों से घर के सारे समस्या का निधान होती है यानि घर के अंदर होने वाले अशुभ प्रभाव दूर होते है।
दोस्तो,वास्तु शास्त्र के सिद्धांत के अनुसार नया घर बनाते समय प्रकृति के भिन्न संतुलन को बनाए रखने के लिए ही बनाया गया है।
एक घर को सम्पूर्ण रूप से एक घर बनने के लिए, उसे सही अंदाज ओर सही प्रकार की ऊर्जा का विकिरण करने की आवश्यकता होती है। हिंदू की पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक घर अपने स्वयं के ऊर्जा प्रकार के साथ आता है।
एक घर में रहने वाला व्यक्ति एक विशिष्ट ऊर्जा क्षेत्र के प्रभाव में आता है, जो बदले में उसे किसी न किसी रूप में प्रभावित करता है। इसलिए सकारात्मकता और अच्छे वाइब्स का सम्मान करने में वास्तु और हमारे घरों की उपचार कला के बीच की कड़ी को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।
वास्तु के अनुसार घर के रंग एक महत्वपूर्ण विषय है। वास्तु शास्त्र के हिसाब से घर के लिए वास्तु उन रंगों पर महत्वपूर्ण ध्यान देता है जिनसे हम अपने घरों को सजाते हैं। इसलिए गहरे रंगों के प्रयोग से बचना चाहिए। सकारात्मक लाभ उठाने के लिए सफेद, पीले, गुलाबी, मूंगा, हरे, नारंगी, या नीले जैसे रंगों का चयन करें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार आपके घर में किचेन या रसोई, घर के दक्षिण-पूर्व दिशा में बनानी चाहिए। यह ध्यान में रखना चाहिए कि, रसोई बनाते समय घर के उत्तर, उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम से बचना चाहिए। रसोई में उपकरण भी दक्षिण-पूर्व दिशा में होने चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह सब छोटे छोटे चीज को भूलना नहीं चाहिए।
वास्तु शास्त्र घर के सभी कमरों की स्थिति के लिए अतिरिक्त नियमों के साथ आता है। सुनिश्चित करें कि आपके घर के कमरे सीधी रेखा में हों और चौकोर या आयताकार आकार में हों। किसी भी ऐसे फर्नीचर या कमरे का उपयोग करने से बचें जो गोलाकार हो क्योंकि यह वास्तु के अनुसार उपयुक्त नहीं है।
दोस्तो, घर के सुख समृद्धि, घर के अंदर कुछ नियम के ऊपर होते है। जो हमे मानना चाहिए।एक नया घर बना लिया ओर कुछ नियम कायदा नहीं अनुसरण कि तो छोटे छोटे भूल बहुत बड़ा संकट लेे आते है। वास्तु शास्त्र के अनुसार अच्छे स्वास्थ्य और समृद्ध संबंधों को बनाए रखने के लिए शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। ईशान कोण से बचना चाहिए।
आपके घर नया बना रहे है तो आपके, नए घर का सामने
का एरिया पूर्व, उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में या रहने का कमरा पूर्व, उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में स्थित होना चाहिए। आपके घर में फर्नीचर है तो ओह फर्नीचर पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखा होना चाहिए। यह एक वास्तु के हिसाब से बनी जोजना है।ऐसा करने से यह सुनिश्चित हो जाते है, कि आपके घर में कोई वास्तु दोष नहीं है।
दोस्तो हिंदू शास्त्र को मध्य नजर रखते हुए हिन्दू रीति रिवाज के आधार पर लोग अपने घर को उसी हिसाब से डिजाईन करते है। ओर वास्तु के नियम अनुशार मुख्य द्वार एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में जाना जाता है। सभी दरवाजे विशेष रूप से मुख्य द्वार अंदर ही खुलने चाहिए ताकि ऊर्जा अंदर बनी रहे। साथ साथ में यह भी ध्यान रखना चाहिए कि दरवाजे पे कोई आवाज ना हो।ओर इस वाद को ध्यान में रखते हुए वक़्त वक़्त पर घर के कब्जे को ग्रीस करें।
दोस्तो, हिन्दुओं का रीति रिवाज थोड़ा हटके है। इनका 12 महीना में 13 तेहार होता है।ओर घर में पूजा पाठ तो हमेशा चलते रहते है। आपके घर में भी एक पूजा घर जरूर होगा। दोस्तो, पूजा कक्ष हर घर में होना चाहिए। और हम सभी जानते हैं कि उत्तर पूर्व दिशा सबसे शुभ दिशा है। लेकिन इस बात को लेकर निरंतर भ्रम रहता है कि आपको दिव्य दिशा का सामना करना चाहिए या मूर्तियों की ओर मुख करना चाहिए या नहीं।पूजा करते समय आप उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करना चाहिए।
दर्पण या अयना, जिसे मिरर भी कहा जाता है। दोस्तो, वास्तु शास्त्र के आधार पर प्राचीन काल से ही दर्पणों ने वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पूरे घर में सकारात्मकता को बढ़ावा देने के लिए दर्पण को सही जगह पर रखना एक बेहतरीन वास्तु उपाय है।
दर्पण लगाने के लिए दो प्रमुख बातें हैं: इसे कभी भी मुख्य दरवाजे के ठीक सामने न रखें और सुनिश्चित करें कि बेडरूम में दर्पण बिस्तर को प्रतिबिंबित नहीं करता है। यहां आप घर पर मिरर प्लेसमेंट के लिए वास्तु शास्त्र टिप्स के बारे में आपको जानना चाहिए।
दोस्तो वास्तु शास्त्र के अनुसार कपूर के क्रिस्टल महुत्तो पूर्ण है। यह वास्तु उपायों का सब से लोकप्रिय वास्तु उपायों में से एक है। घर के अंदर होने वाले कोई भी वास्तु दोष को दूर करने के लिए आप कपूर के क्रिस्टल पर पूरी तरह भरोसा कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि आपका काम अटक रहा है या आपकी योजना के अनुसार चीजें नहीं चल रही हैं, तो घर पर दो कपूर की गेंदें या क्रिस्टल रखें और जब वे सूख जाएं तो उन्हें बदल दें। आप अपनी स्थिति में लगातार बदलाव देखेंगे।
दोस्तो घोड़े की नाल तो देखा होगा। घर के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार घोड़े की नाल बहुत भाग्यशाली है और यह सौभाग्य और धन को आकर्षित करती है। दोस्तो घोड़े के नाल बहुती अच्छे ओर बड़ाहि काम का चीज है।
घर के मुख्य द्वार पर एक घोड़े की नाल लटकाए, ध्यान में रखे कि घोड़े की नाल उल्टा लटका ना हो उसे सीधा रखे। अगर वास्तु शास्त्र के अनुसार की नाल को सही तरीका से इस्तेमाल किया गया तो घर में शुख़ शांति तथा घर में धन का कोई कमी नहीं होते।
वास्तु शास्त्र वास्तुकला की पारंपरिक भारतीय प्रणाली पर ग्रंथ हैं। ये ग्रंथ डिजाइन, लेआउट, माप, जमीन की तैयारी, अंतरिक्ष व्यवस्था और स्थानिक ज्यामिति के सिद्धांतों का वर्णन करते हैं। इसको इस्तेमाल करके लोग नया घर को सही वास्तु नियम के अनुसार घर को डिज़ाइन करते है।
इसके अलावा भी वास्तु शास्त्र का उपयोग बहुत कुछ काम में इस्तमाल किया जाता है। दोस्तो हम घर के अंदर बाहर का डिजाईन वास्तु शास्त्र के अनुसार किस होना चाहिए या करना चाहिए इसके वारे में चर्चा की है। हम उम्मीद करते हैं कि आप लोगो को हमरे यह जानकारी अच्छा लगा होगा। दोस्तो अगर आपके यह पोस्ट अच्छा लगा तो कमेंट्स करके जरूर बताए
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